भारत बनाम इंग्लैंड, पांचवां टेस्ट, तीसरा दिन: ओवल की रणभूमि में भारत की नई गाथा

भारत बनाम इंग्लैंड, पांचवां टेस्ट, तीसरा दिन:ओवल की रणभूमि में भारत की नई गाथा
जब भारत ने दिन का खेल शुरू किया था। मन में बस यही सवाल था, “क्या भारतीय बल्लेबाज इस दबाव को झेल पाएंगे?” लेकिन क्रिकेट के इस खेल की खूबसूरती ही यही है कि यह हर दिन एक नई कहानी लिखता है। और तीसरे दिन की कहानी भारतीय बल्लेबाजों के अदम्य साहस और जुझारूपन की थी, जिसने न सिर्फ मैच में भारत की वापसी कराई बल्कि करोड़ों फैंस के दिलों में उम्मीद की एक नई किरण जगाई।

यशस्वी और आकाशदीप: एक अनूठी साझेदारी का जन्म

कल शाम ‘नाइटवॉचमैन’ के तौर पर क्रीज पर आए आकाशदीप से किसी को बहुत उम्मीदें नहीं थीं। मेरा मानना था कि उनका काम बस सुबह के कुछ ओवर निकालकर, यशस्वी जायसवाल को स्ट्राइक देना होगा। लेकिन आकाशदीप ने मेरे और शायद हर क्रिकेट प्रेमी के विचारों को गलत साबित कर दिया।

सुबह का सत्र शुरू हुआ और आकाशदीप ने पहली ही गेंद से अपने इरादे साफ कर दिए। उनकी बल्लेबाजी में एक निडरता थी, जो शायद ही किसी गेंदबाज में देखने को मिलती है। उन्होंने जोस टोंग और गस एटकिंसन जैसे गेंदबाजों के खिलाफ बिना किसी डर के शॉट खेले।
दूसरी तरफ, यशस्वी जायसवाल ने अपनी क्लास और संयम का बेहतरीन नमूना पेश किया। एक तरफ आकाशदीप की आक्रामकता थी, तो दूसरी तरफ यशस्वी की सहजता। दोनों ने मिलकर एक शानदार साझेदारी बनाई जिसने इंग्लैंड के गेंदबाजों को पूरी तरह से थका दिया।

जब इंग्लैंड के कप्तान ओली पोप ने अपने गेंदबाजों को बार-बार रणनीति बदलते देखा, तो मुझे यकीन हो गया कि भारत ने मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली है। आकाशदीप ने जिस तरह से अपना पहला टेस्ट अर्धशतक जड़ा, वह किसी यादगार पल से कम नहीं था। उनका 66 रनों का साहसिक पारी भारत के लिए संजीवनी बूटी साबित हुआ।

दबाव के बीच भी चमकता हुआ जायसवाल का शतक

आकाशदीप के आउट होने के बाद शुभमन गिल और करुण नायर जल्दी आउट हो गए। इस बीच यशस्वी जायसवाल ने एक छोर पर मजबूती से खड़े रहकर बल्लेबाजी जारी रखी। यह सिर्फ उनका दूसरा टेस्ट शतक नहीं था, यह एक खिलाड़ी के धैर्य, एकाग्रता और मानसिक मजबूती का प्रमाण था।

जब हर कोई जल्दी में लग रहा था, तब यशस्वी ने अपनी पारी को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया। उन्होंने न सिर्फ रन बनाए, बल्कि इंग्लैंड के गेंदबाजों को लगातार निराश भी किया। उनका शतक एक चुनौती भरे माहौल में आया, और इसलिए यह और भी खास हो गया।
लंच के बाद इंग्लैंड के गेंदबाजों ने कुछ विकेट जल्दी-जल्दी लिए। लगा कि भारत का मध्य क्रम एक बार फिर से लड़खड़ा जाएगा। लेकिन फिर आए रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर।

जडेजा और सुंदर: निचले क्रम का कमाल

जब स्कोर 300 के आसपास था और भारत के 6 विकेट गिर चुके थे, तो लगा कि भारत 320-330 तक ही पहुंच पाएगा। लेकिन फिर रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने मोर्चा संभाला। दोनों बल्लेबाजों ने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की और इंग्लैंड के गेंदबाजों पर दबाव बनाया। वाशिंगटन सुंदर की 53 रनों की तेजतर्रार पारी ने टीम के स्कोर को तेजी से आगे बढ़ाया। उनके शॉट्स में एक बेफिक्री थी, जो इंग्लैंड के गेंदबाजों को हैरान कर रही थी। जडेजा ने भी उनका बखूबी साथ दिया और अपना अर्धशतक पूरा किया। दोनों ने मिलकर एक महत्वपूर्ण साझेदारी की, जिसने भारत की बढ़त को 300 के पार पहुंचा दिया।
यह साझेदारी सिर्फ रन बनाने तक सीमित नहीं थी, इसने इंग्लैंड के मनोबल को पूरी तरह से तोड़ दिया था। अब इंग्लैंड के गेंदबाज थके हुए दिख रहे थे, और उनके फील्डर भी निराश थे। भारत आखिरकार 396 रन बनाकर ऑल आउट हो गया और इंग्लैंड को जीत के लिए 374 रनों का विशाल लक्ष्य दिया।

डीएसपी सिराज का जादू: दिन के आखिरी पल का रोमांच

जब इंग्लैंड की टीम बल्लेबाजी करने आई तो भारत को एक जल्दी विकेट की तलाश थी। ज़ैक क्रॉली और बेन डकेट ने एक बार फिर से तेज शुरुआत की। वे कुछ चौके-छक्के लगाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय गेंदबाज भी कड़ी मेहनत कर रहे थे, लेकिन विकेट नहीं मिल रहा था।

दिन के खेल का आखिरी ओवर था, और मोहम्मद सिराज गेंदबाजी कर रहे थे। एक क्रिकेट प्रेमी के रूप में, मैं बस यही दुआ कर रहा था कि सिराज किसी तरह एक विकेट ले लें।


और फिर वह हुआ, जिसकी उम्मीद हर भारतीय फैन कर रहा था। सिराज ने दिन की आखिरी गेंद पर एक तेज यॉर्कर फेंकी, जो ज़ैक क्रॉली के स्टंप्स बिखेर गई। स्टेडियम में एक जोरदार चीख गूंज उठी। यह सिर्फ एक विकेट नहीं था, यह दिन का अंत था, और भारत के लिए एक परफेक्ट अंत। क्रॉली के आउट होने से इंग्लैंड के मनोबल पर गहरा असर पड़ा और अब भारत को जीत के लिए केवल 9 विकेट की जरूरत है।


उम्मीदों से भरा चौथा दिन

ओवल का तीसरा दिन भारत के लिए एक रोलर-कोस्टर राइड की तरह था। सुबह की निराशा से लेकर शाम की जीत की उम्मीद तक, इस दिन ने हमें क्रिकेट की हर भावना से रूबरू कराया। यशस्वी जायसवाल का शानदार शतक, आकाशदीप का जुझारूपन और जडेजा-सुंदर की विस्फोटक साझेदारी ने यह साबित कर दिया कि यह टीम हार मानने वालों में से नहीं है।

अब इंग्लैंड को एक असंभव से लक्ष्य का पीछा करना है, और भारत को जीत के लिए सिर्फ 9 विकेट चाहिए। मैदान पर तनाव है, लेकिन भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं। कल का दिन निर्णायक होगा, और मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय टीम ओवल में एक और ऐतिहासिक जीत दर्ज करके इस सीरीज को बराबर करने में सफल रहेगी। यह जीत सिर्फ आंकड़ों की नहीं होगी, यह उन सभी खिलाड़ियों की जीत होगी जिन्होंने मुश्किल समय में हार नहीं मानी।

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