भारत बनाम इंग्लैंड, पांचवां टेस्ट, चौथा दिन: ओवल का मैदान, दिल की धड़कनें और उम्मीदों का समंदर

भारत बनाम इंग्लैंड, पांचवां टेस्ट, चौथा दिन: ओवल का मैदान, दिल की धड़कनें और उम्मीदों का समंदर
लंदन के ऐतिहासिक ओवल मैदान पर चल रही पांचवीं टेस्ट का चौथा दिन  ऐसा था, जो हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में एक अलग ही जगह बना गया। यह सिर्फ एक दिन का खेल नहीं था, यह एक कहानी थी, उम्मीदों, निराशाओं और फिर से जागती आशाओं की।

सुबह का सूरज, नई उम्मीदें

चौथे दिन की सुबह, आसमान थोड़ा बादलों से भरा था, ठीक उसी तरह जैसे हम भारतीय फैंस के दिल में कुछ डर और उम्मीदें भरी हुई थीं। इंग्लैंड को 374 रनों का लक्ष्य मिला था और उनकी शुरुआत अच्छी हुई थी। बेन डकेट और ओली पोप ने अच्छी साझेदारी कर ली थी, लेकिन हम जानते थे कि एक विकेट ही सब कुछ बदल सकता है। और हुआ भी वही! प्रसिद्ध कृष्णा, जो अपनी लय ढूंढ रहे थे, ने आखिरकार हमें वो पल दिया जिसका हम इंतज़ार कर रहे थे। एक बेहतरीन गेंद, जिसने डकेट को ड्राइव करने पर मजबूर किया और गेंद सीधी स्लिप में खड़े राहुल के हाथों में। पवेलियन में एक शांत सी खुशी थी, जो इस बात का संकेत थी कि भारत अभी भी मैदान में है।

ब्रूक का तूफान और रूट की क्लास

लेकिन कहते हैं ना, टेस्ट क्रिकेट में चीजें इतनी आसानी से नहीं बदलतीं। डकेट के जाने के बाद, जो रूट और हैरी ब्रूक ने मिलकर ऐसा खेल खेला, जिसने हमें सच में परेशान कर दिया। हैरी ब्रूक की बल्लेबाजी देखकर ऐसा लगा मानो वह टी-20 खेल रहे हों। वह लगातार आक्रमण कर रहे थे और भारतीय गेंदबाजों पर दबाव बना रहे थे।

मुझे याद है, एक समय पर मोहम्मद सिराज ने उनका कैच लिया था, लेकिन दुर्भाग्य से उनका पैर बाउंड्री रोप से छू गया। वो एक पल था जब मेरे दिल की धड़कनें रुक सी गई थीं। वो एक कैच नहीं था, वो मैच का एक निर्णायक पल था जो हमारे हाथ से निकल गया। ब्रूक ने इसका पूरा फायदा उठाया और एक शानदार शतक जड़कर हमें बैकफुट पर धकेल दिया।


इसी बीच, दूसरी तरफ जो रूट अपनी क्लास दिखा रहे थे। वह हर गेंद को सम्मान दे रहे थे, गैप ढूंढ रहे थे और बड़ी आसानी से रन बना रहे थे। रूट की बल्लेबाजी में एक अलग ही शांति और आत्मविश्वास था। उन्होंने अपना 39वां टेस्ट शतक जड़ा और एक बार फिर साबित कर दिया कि वह क्यों इस दौर के महानतम बल्लेबाजों में से एक हैं। उनकी और ब्रूक की साझेदारी ने हमें लगभग मैच से बाहर कर दिया था। ऐसा लग रहा था कि मैच पांचवें दिन तक भी नहीं जाएगा।


टी-ब्रेक के बाद, कहानी का नया मोड़

जब टी-ब्रेक हुआ तो मेरे मन में बस यही ख्याल था कि अब क्या होगा? क्या भारत यह मैच हार जाएगा? लेकिन कहते हैं ना, क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। टी-ब्रेक के बाद भारतीय गेंदबाजों ने एक नया जुनून दिखाया। मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा ने अपनी पूरी जान लगा दी। उनकी गेंदों में वो आग थी, जो हमें मैच में वापस ला सकती थी। पहले हैरी ब्रूक आकाश दीप की एक गेंद पर आउट हुए, और फिर प्रसिद्ध कृष्णा ने जो रूट को भी पवेलियन भेज दिया। यह सिर्फ दो विकेट नहीं थे, यह हमारी उम्मीदों को मिली संजीवनी थी।


इसके बाद, ओवल का माहौल पूरी तरह बदल गया। भारतीय फैंस ने शोर मचाना शुरू कर दिया। हर गेंद के साथ एक अपील थी, हर डॉट बॉल के साथ एक उम्मीद थी। इंग्लैंड के बल्लेबाज भी दबाव में आ गए। जैकब बेथेल और जैमी स्मिथ को रन बनाने में दिक्कत हो रही थी। एक समय पर 301/3 से इंग्लैंड का स्कोर 337/6 हो गया। हम वापस आ गए थे!


अंधेरे और बारिश के बीच एक रोमांचक अंत

खेल के आखिरी घंटे में, सूरज ढल रहा था और बादलों ने आसमान को पूरी तरह से ढक लिया था। अंपायरों ने खराब रोशनी के कारण खेल रोक दिया। कुछ ही देर बाद, बारिश भी आ गई, जिसने चौथे दिन के खेल को खत्म कर दिया।


चौथे दिन का खेल खत्म हुआ तो स्कोरबोर्ड कुछ ऐसा था: इंग्लैंड 339/6, जीत के लिए 35 रन की जरूरत, और भारत को 4 विकेट चाहिए। यह वो पल था जब मेरे दिल में एक अजीब सी शांति और उत्साह दोनों एक साथ थे। यह सिर्फ एक स्कोर नहीं था, यह इस सीरीज का सारांश था। एक पल जब इंग्लैंड हावी था, और फिर एक पल जब भारत ने वापसी की।


ओवल का चौथा दिन हमें बहुत कुछ सिखा गया। इसने दिखाया कि क्रिकेट में कुछ भी संभव है। जब आप सबसे ज्यादा हताश होते हैं, तब भी उम्मीद की एक किरण बाकी रहती है। अब नजरें पांचवें दिन पर टिकी हैं। यह सिर्फ एक मैच का आखिरी दिन नहीं होगा, यह इस सीरीज का निर्णायक दिन होगा।


यह सिर्फ एक खेल नहीं, एक जंग है, और हम भारतीय फैंस अपनी टीम के साथ हर हाल में खड़े हैं। कल का दिन बताएगा कि जीत किसके हिस्से में आती है, लेकिन ओवल का चौथा दिन हमारे दिलों में हमेशा रहेगा।

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