भारत बनाम इंग्लैंड, पांचवां टेस्ट, पहला दिन, ओवल की वो सुबह, जब बारिश के बीच उम्मीदें भीगीं: क्रिकेट, एक ऐसा रोमांच, जो हर गेंद, हर शॉट, हर विकेट के साथ हमारे दिल की धड़कनों को बढ़ा देता है। और जब बात हो भारत बनाम इंग्लैंड की, तो यह भावना और भी गहरी हो जाती है। लंदन के ओवल में सीरीज का पांचवां और निर्णायक टेस्ट, सिर्फ एक मैच नहीं था, बल्कि एक महाकाव्य का अंतिम अध्याय था। और इस अध्याय का पहला दिन, बारिश और संघर्ष की कहानी लेकर आया।
क्रिकेट की कविता और मौसम का मिजाज

सुबह जब टॉस हुआ, तो आसमान में बादलों का राज था। कप्तान ओली पोप ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला लिया, जो एक समझदारी भरा कदम था। पिच पर नमी थी, हवा में ठंडक थी, और तेज गेंदबाजों के लिए सब कुछ अनुकूल था। ऐसे में, भारतीय बल्लेबाजों के सामने चुनौती थी, सिर्फ इंग्लैंड के गेंदबाजों की नहीं, बल्कि खुद प्रकृति की भी।
यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल ने पारी की शुरुआत की। यशस्वी, जो अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं, आज संयम का परिचय दे रहे थे। लेकिन गस एटकिंसन की एक अंदर आती हुई गेंद ने उन्हें फंसा दिया। अंपायर का फैसला उनके पक्ष में नहीं था, और भारतीय खेमे में सन्नाटा छा गया।

इसके बाद आए साई सुदर्शन, जिन्होंने राहुल के साथ मिलकर पारी को संभालने की कोशिश की।राहुल, जो पिछली कुछ पारियों में फॉर्म में दिखे हैं, आज एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में नजर आ रहे थे। लेकिन क्रिस वोक्स की एक बेहतरीन गेंद ने उनकी पारी का अंत कर दिया। 14 रन बनाकर वह पवेलियन लौटे और भारतीय टीम पर दबाव और बढ़ गया।

साई सुदर्शन और कप्तान शुभमन गिल ने मिलकर कुछ अच्छी साझेदारी की। गिल, अपनी कप्तानी की जिम्मेदारी निभाते हुए, हर गेंद को सावधानी से खेल रहे थे।
गलती का दर्द और करुण की कहानी
लेकिन क्रिकेट में एक पल की गलती पूरी कहानी बदल देती है। लंच के बाद जब खेल फिर से शुरू हुआ, तो शुभमन गिल एक सिंगल चुराने की कोशिश में रन आउट हो गए। यह एक ऐसी गलती थी जिसका दर्द हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी ने महसूस किया। एक कप्तान, जो टीम को मुश्किल से निकालने की कोशिश कर रहा था, एक छोटी सी चूक की वजह से बाहर हो गया। यह सिर्फ एक विकेट नहीं था; यह भारत की उम्मीदों पर एक चोट थी।

गिल के जाने के बाद, साई सुदर्शन ने रविंद्र जडेजा के साथ मिलकर मोर्चा संभाला। सुदर्शन, जिन्होंने आज बहुत ही धैर्यपूर्वक बल्लेबाजी की, 38 रन बनाकर जोश टंग की एक बेहतरीन गेंद पर आउट हो गए। वह गेंद इतनी शानदार थी कि किसी भी बल्लेबाज के लिए उसे खेलना मुश्किल होता।

जडेजा भी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाए। वह भी टंग की एक उछाल भरी गेंद पर आउट हो गए। भारत का स्कोर 153 रन पर 6 विकेट हो गया था, और लग रहा था कि आज का दिन पूरी तरह से इंग्लैंड के नाम रहेगा।लेकिन तभी, एक नाम ने उम्मीद की किरण जगाई, और वो नाम था—करुण नायर।
करुण नायर: संघर्ष से भरी वापसी की कहानी
करुण नायर, एक ऐसा नाम जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 303 रनों के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। लेकिन उस ऐतिहासिक पारी के बाद, उनका करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उन्हें पिचले मैच में टीम से ड्रॉप किया गया, और एक बार फिर उन्हें खुद को साबित करने का मौका मिला। और उन्होंने इस मौके को दोनों हाथों से पकड़ा।
जब वह क्रीज पर आए, तो भारत मुश्किल में था। लेकिन नायर ने अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल किया। उन्होंने एक-एक रन के लिए संघर्ष किया, हर गेंद को सम्मान दिया। इंग्लैंड के गेंदबाज लगातार दबाव बना रहे थे, लेकिन नायर ने अपना संयम नहीं खोया। उन्होंने वाशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण साझेदारी की।यह सिर्फ एक साझेदारी नहीं थी; यह एक बल्लेबाज की वापसी की कहानी थी। करुण नायर ने अपने करियर का दूसरा टेस्ट अर्धशतक पूरा किया, और यह उनके लिए 3,148 दिन बाद आया। जो एक खिलाड़ी के धैर्य, उसकी मेहनत और उसकी उम्मीदों की कहानी है। जब उन्होंने अपना अर्धशतक पूरा किया, तो उनके चेहरे पर कोई बड़ा जश्न नहीं था, सिर्फ एक शांत संतुष्टि थी।

एक संतुलित अंत
पहले दिन का खेल जब खत्म हुआ, तो भारत का स्कोर 6 विकेट के नुकसान पर 204 रन था। करुण नायर 52 और वाशिंगटन सुंदर 19 रन बनाकर नाबाद थे। यह स्कोर शायद बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन जिस तरह से भारत एक समय 153 पर 6 विकेट गंवा चुका था, उसके बाद यह एक सम्मानजनक स्कोर था।

इंग्लैंड के लिए भी यह दिन कुछ मिला-जुला रहा। उन्होंने 6 विकेट लिए, लेकिन बीच-बीच में उनकी गेंदबाजी में भी कमी दिखी। क्रिस वोक्स की चोट भी उनके लिए एक चिंता का विषय है।पहले दिन के खेल ने यह साबित कर दिया कि यह टेस्ट सीरीज अभी खत्म नहीं हुई है। भारत के पास अभी भी मौका है, और करुण नायर और वाशिंगटन सुंदर की जोड़ी ने यह उम्मीद जगाई है।
कल का दिन क्या लेकर आएगा, ये तो समय बताएगा, लेकिन आज करुण नायर ने यह साबित कर दिया कि एक सच्चा खिलाड़ी कभी मैदान नहीं छोड़ता।