भारत बनाम इंग्लैंड लॉर्ड्स टेस्ट मैच, पहला दिन: भारतीय टीम की अनुशासित गेंदबाजी ने इंग्लैंड के ‘बैज़बॉल’ रवैये को किया ध्वस्त

क्रिकेट के मक्का, लॉर्ड्स के मैदान पर आज भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरे टेस्ट मैच का पहला दिन खेला गया, और यकीनन, यह एक ऐसा दिन था जिसने टेस्ट क्रिकेट की आत्मा को फिर से जीवंत कर दिया। एजबेस्टन में मिली शानदार जीत के बाद जहाँ भारत ने इंग्लैंड के ‘बैज़बॉल’ को बेअसर करते हुए सीरीज 1-1 से बराबर की थी, लॉर्ड्स में आज एक बिल्कुल अलग कहानी देखने को मिली।


लॉर्ड्स का मिजाज और टॉस का रोमांच


लॉर्ड्स की सुबह हमेशा खास होती है। हल्की ठंडक, हरी-भरी पिच और क्रिकेट के सबसे प्रतिष्ठित मैदान का गौरवशाली इतिहास – ये सब मिलकर एक अलग ही माहौल बनाते हैं। टॉस हुआ और इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने बल्लेबाजी का फैसला किया जो कि ‘बैज़बॉल’ युग में उनके लिए दूसरा ही ऐसा मौका था जब उन्होंने पहले बल्लेबाजी चुनी। एजबेस्टन की हार के बाद, यह एक रणनीति में बदलाव का संकेत दे रहा था, मानो इंग्लैंड ने भारत की गेंदबाजी का सम्मान करते हुए पिच पर पहले बल्लेबाजी कर एक मजबूत स्कोर खड़ा करने का फैसला किया हो। मुझे लगा कि यह एक दिलचस्प कदम है, खासकर तब जब जसप्रीत बुमराह भारतीय टीम में वापस आ चुके थे और आकाश दीप भी अपनी शानदार फॉर्म में थे।
इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज ज़ैक क्रॉली और बेन डकेट मैदान पर उतरे। भारतीय आक्रमण की शुरुआत बुमराह और आकाश दीप ने की। शुरुआती ओवरों में पिच पर थोड़ी नमी और गेंदबाजों के लिए मदद साफ दिख रही थी। बुमराह अपनी चिरपरिचित लेंथ और स्विंग से बल्लेबाजों को परेशान कर रहे थे लेकिन क्रॉली और डकेट ने संयम दिखाते हुए शुरुआती दबाव को झेला। ये दोनों बल्लेबाज अक्सर आक्रामक अंदाज में खेलते हैं लेकिन आज उनका रवैया सतर्क था जो दर्शाता है कि भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का खौफ उनमें है।

नीतीश कुमार रेड्डी का जादू और भारत की शुरुआती सफलता


मुझे लग रहा था कि यह साझेदारी खतरनाक हो सकती है लेकिन तभी कप्तान शुभमन गिल ने एक साहसिक निर्णय लिया। ड्रिंक्स ब्रेक के बाद उन्होंने युवा ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी को गेंद थमाई। ईमानदारी से कहूँ तो यह एक चौंकाने वाला फैसला था लेकिन रेड्डी ने इसे सही साबित कर दिया। उन्होंने अपनी पहली ही ओवर में कमाल कर दिया। पहले उन्होंने बेन डकेट (23 रन) को ऋषभ पंत के हाथों कैच आउट करवाया और फिर उसी ओवर में ज़ैक क्रॉली (18 रन)  को भी पवेलियन भेज दिया।


यह एक ऐसा पल था जिसने पूरे दिन का मिजाज बदल दिया। इंग्लैंड 43 रन पर बिना किसी नुकसान के था और अचानक 43 पर 2 हो गया। यह एक मास्टरस्ट्रोक था और भारतीय ड्रेसिंग रूम में खुशी की लहर दौड़ गई।  नीतीश कुमार रेड्डी ने न केवल दो विकेट लिए बल्कि उन्होंने इंग्लैंड के बैज़बॉल पर भी ब्रेक लगा दिया, जो कि उनकी धीमी रन गति (3.02) से साफ झलक रहा था।

रूट और पोप की साझेदारी: धैर्य की मिसाल


दो शुरुआती झटकों के बाद, जो रूट और ओली पोप ने पारी को संभालने का जिम्मा उठाया। ये दोनों अनुभवी बल्लेबाज हैं और उन्होंने दबाव में संयम से बल्लेबाजी की। रूट ने दिखाया कि क्यों उन्हें टेस्ट क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। उन्होंने एक छोर संभाले रखा और पोप के साथ मिलकर धीरे-धीरे साझेदारी को आगे बढ़ाया। लंच तक इंग्लैंड का स्कोर 2 विकेट पर 83 रन था।


दोपहर के सत्र में, भारतीय गेंदबाजों ने कसी हुई गेंदबाजी जारी रखी लेकिन रूट और पोप ने उन्हें विकेट लेने का कोई मौका नहीं दिया। यह टेस्ट क्रिकेट की असली लड़ाई थी – बल्लेबाज का धैर्य और तकनीक बनाम गेंदबाज की सटीकता और निरंतरता। इस सत्र में इंग्लैंड ने धीमी गति से रन बनाए लेकिन महत्वपूर्ण बात यह थी कि उन्होंने कोई विकेट नहीं गंवाया। रूट ने अपना अर्धशतक पूरा किया और अपनी क्लास का प्रदर्शन किया।


चाय के बाद का ड्रामा और जो रूट का 99*

चायकाल तक इंग्लैंड 2 विकेट पर 151 रन बनाकर मजबूत स्थिति में था। लेकिन चाय के बाद का सत्र हमेशा अप्रत्याशित होता है और लॉर्ड्स में आज यही हुआ। रवींद्र जडेजा ने चाय के बाद की पहली ही गेंद पर ओली पोप (44 रन) को सब्स्टीट्यूट विकेटकीपर ध्रुव जुरेल के एक शानदार कैच पर आउट कर दिया। यह एक बड़ा विकेट था और इंग्लैंड एक बार फिर दबाव में आ गया।
इसके तुरंत बाद, जसप्रीत बुमराह ने हैरी ब्रूक (11 रन) को क्लीन बोल्ड कर दिया। ब्रूक एक आक्रामक बल्लेबाज हैं और उनका विकेट भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। इंग्लैंड का स्कोर 4 विकेट पर 172 रन हो गया। भारतीय टीम जोश में थी और ऐसा लग रहा था कि वे इंग्लैंड को सस्ते में समेट देंगे।


लेकिन तभी कप्तान बेन स्टोक्स खुद बल्लेबाजी करने आए। उन्होंने जो रूट के साथ मिलकर एक और महत्वपूर्ण साझेदारी बनाई। स्टोक्स, जो आमतौर पर आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं, ने आज अपनी ‘बैज़बॉल’ वाली छवि को किनारे रखकर संयम दिखाया। उन्होंने जो रूट के साथ मिलकर 79 रनों की अटूट साझेदारी की।
दिन का सबसे रोमांचक पल तब आया जब जो रूट अपने शतक के करीब थे। वे 99 रन पर नाबाद थे और उनके पास शतक पूरा करने का मौका था। क्रिकेट के मैदान पर 99 पर रुकना किसी भी बल्लेबाज के लिए सबसे बड़ी निराशा होती है और लॉर्ड्स में आज रूट के साथ यही हुआ। आखिरी ओवर में वह शतक से बस एक रन दूर रह गए और उन्हें स्ट्राइक नहीं मिल पाई। हालांकि, रूट ने अपनी पारी में 191 गेंदों का सामना किया और 9 चौकों की मदद से यह बेहतरीन स्कोर बनाया। उनकी यह पारी एक क्लासिक टेस्ट पारी की मिसाल थी।

पहले दिन का निष्कर्ष और कल की उम्मीदें


दिन का खेल समाप्त होने तक इंग्लैंड ने 4 विकेट के नुकसान पर 251 रन बनाए थे जिसमें जो रूट 99 और बेन स्टोक्स 39 रन पर नाबाद थे। यह दिन पूरी तरह से ‘बैज़बॉल’ से अलग रहा। इंग्लैंड ने धैर्य और संयम से बल्लेबाजी की जो लॉर्ड्स की धीमी और मुश्किल पिच पर एक समझदार रणनीति थी।


भारत के लिए, नीतीश कुमार रेड्डी ने अपनी पहली ही ओवर में दो विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन किया। बुमराह और जडेजा ने भी एक-एक विकेट लिया। भारतीय गेंदबाजों ने अच्छी लाइन और लेंथ से गेंदबाजी की और इंग्लैंड को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया।
एक क्रिकेट प्रेमी के तौर पर, मैं कहूंगा कि यह दिन इंग्लैंड के नाम रहा, खासकर जो रूट की लाजवाब पारी के कारण। लेकिन भारत ने भी हिम्मत नहीं हारी और महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट लेकर मैच को अपने पक्ष में बनाए रखा। कल का दिन बेहद महत्वपूर्ण होगा। अगर भारत सुबह के सत्र में जल्दी विकेट निकालता है और इंग्लैंड को 300-320 के स्कोर पर ऑल आउट करता है तो पहली पारी में भारत के लिए बढ़त लेने का सुनहरा मौका होगा। वहीं, अगर रूट और स्टोक्स अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाते हैं और इंग्लैंड एक बड़ा स्कोर खड़ा करता है, तो भारत पर दबाव बढ़ जाएगा।
यह टेस्ट मैच अभी भी पूरी तरह से खुला हुआ है और लॉर्ड्स में हमेशा अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिलते हैं। मुझे यकीन है कि कल का दिन भी कम रोमांचक नहीं होगा। यह क्रिकेट का खेल है, और यही इसकी खूबसूरती है – हर गेंद, हर ओवर और हर सत्र में एक नई कहानी बनती है।

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